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Paush Purnima 2027 Date: पौष पूर्णिमा 2027 तिथि, महत्व, पूजा विधि, स्नान-दान और व्रत के नियम
पौष पूर्णिमा 2027
पूर्णता का प्रतीक, मोक्ष का द्वार
पौष पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र एवं पुण्यदायी तिथि है, जो सूर्य देव के माह पौष की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है। यह दिन न केवल चंद्रमा की पूर्णता का प्रतीक है, बल्कि आत्मिक शुद्धि, पाप-मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का द्वार भी खोलता है। इस दिन प्रयागराज के त्रिवेणी संगम, हरिद्वार, वाराणसी के दशाश्वमेध घाट में लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा से माघ मास के कल्पवास की शुरुआत होती है, जहां स्नान-दान से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा की तिथि हमेशा से विशेष महत्व रखती आई है। हर महीने की पूर्णिमा अलग-अलग नामों और उत्सवों से जुड़ी होती है, लेकिन पौष मास की पूर्णिमा को सबसे अधिक पुण्यदायी माना जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक स्तर पर भी बहुत बड़ा महत्व रखता है।
⏰ तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा 2027 की पूर्णिमा तिथि 21 जनवरी की रात से शुरू होकर 22 जनवरी को दोपहर तक रहेगी। उदय तिथि के आधार पर व्रत, स्नान और पूजा 22 जनवरी शुक्रवार को ही की जाएगी। यह तिथि भारत में नए साल की शुरुआत के ठीक बाद पड़ रही है, जिससे इसकी शुभता और भी बढ़ जाती है।
🕉 धार्मिक महत्व
पौष मास को सूर्य देव का महीना कहा जाता है। इस दौरान सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी पर विशेष रूप से प्रभाव डालती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से प्रकाशित होता है, जो मन को शांति और प्रकाश प्रदान करता है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि इस दिन किए गए स्नान, दान और व्रत से पिछले कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
एक प्रमुख मान्यता यह है कि पौष पूर्णिमा से माघ स्नान या कल्पवास की शुरुआत होती है। यह स्नान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक जैसे तीर्थों में किया जाता है। प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन देवता भी मानव रूप में स्नान करने आते हैं।
इसके अलावा, पौष पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। माँ शाकंभरी, जो देवी दुर्गा का एक रूप हैं, इस दिन प्रकट हुई थीं। वे शाक (सब्जी) और अन्न प्रदान करने वाली देवी हैं। इस दिन माँ की पूजा से घर में अन्न की कभी कमी नहीं होती।
सुबह जल्दी उठें
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
पवित्र स्नान
यदि संभव हो तो गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। घर पर भी स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
सूर्य देव की पूजा
लाल चंदन, कुमकुम, अक्षत और फूल से सूर्य को अर्घ्य दें। "ॐ घृणि: सूर्याय नम:" मंत्र का जाप करें।
विष्णु पूजा
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर पीले फूल, तुलसी और पीले वस्त्र चढ़ाएं।
शाकंभरी माता पूजा
हरी सब्जियां, फल और अन्न चढ़ाएं। "ॐ शाकंभरी देव्यै नम:" मंत्र जपें।
दान-पुण्य
गरीबों को अन्न, वस्त्र, कंबल, जूते या धन दान करें। दान से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
व्रत और चंद्र दर्शन
फलाहार या एक समय भोजन रखें। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दें।
🔱 प्रमुख मंत्र
पाप मुक्ति
पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है
धन-समृद्धि
स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्राप्त होती है
मनोकामना पूर्ति
सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं
माघ स्नान संकल्प
कल्पवास लेने का सबसे अच्छा दिन
सुरक्षा
शीतकालीन कष्टों से रक्षा मिलती है
आध्यात्मिक उन्नति
मोक्ष की प्राप्ति और आत्मिक शांति
- यह शाकंभरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है
- सूर्य देव की उपासना, अर्घ्यदान का विशेष महत्व
- प्रयागराज, हरिद्वार, वाराणसी में पवित्र स्नान
- इस दिन किए गए कार्य लाख गुना फल देते हैं
- चाहे अन्नदान हो, वस्त्रदान हो या धनदान, सब पुण्य का भंडार
- पूर्णिमा की रोशनी की तरह जीवन में पूर्णता का संदेश
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
⚠️ डिस्क्लेमर
यह लेख केवल सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। तिथि, मुहूर्त और पंचांग में क्षेत्रीय भिन्नताएं हो सकती हैं। सटीक तिथि एवं शुभ मुहूर्त के लिए स्थानीय पंडित या विश्वसनीय पंचांग देखें। यह लेख किसी धार्मिक अनुष्ठान का विकल्प नहीं है। लेखक एवं प्रकाशक किसी भी प्रकार की हानि के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।
🌕 पवित्र स्नान करें, दान करें, जीवन को नई दिशा दें
यह दिन हमें याद दिलाता है कि पूर्णिमा की रोशनी की तरह हमारा जीवन भी पूर्णता की ओर बढ़े
इस पावन पर्व की शुभकामनाएं! 🙏
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