🙏 पौष पुत्रदा एकादशी 2027 🙏
संतान का आशीर्वाद, परिवार का आधार!
पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में संतान प्राप्ति का सबसे पवित्र और शक्तिशाली व्रत माना जाता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाने वाला यह त्योहार उन दंपतियों के लिए वरदान स्वरूप है जो संतान सुख की लालसा रखते हैं। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना से इस दिन किया गया व्रत न केवल संतान प्रदान करता है, बल्कि संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और परिवार में सुख-समृद्धि भी लाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पुण्य अक्षय होता है और यह जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। हर एकादशी अलग-अलग फल देती है, लेकिन पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, क्योंकि यह संतान प्राप्ति का सबसे प्रभावशाली व्रत माना जाता है। पौष का महीना शीतकालीन होता है, जब प्रकृति शांत और साधना के लिए अनुकूल रहती है। इस समय भगवान विष्णु की उपासना से प्राप्त पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
पुत्रदा एकादशी का नाम ही 'पुत्र देने वाली' से लिया गया है। प्राचीन काल से यह व्रत निसंतान दंपतियों के लिए संतान प्राप्ति का प्रमुख साधन रहा है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और दान से न केवल पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है, बल्कि संतान की लंबी आयु, अच्छा स्वास्थ्य और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यह व्रत केवल पुत्र प्राप्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी प्रकार की संतान सुख, संतान की रक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए किया जाता है।
- बिना संतान के अंतिम संस्कार और श्राद्ध अधूरे रह जाते हैं
- पितरों की शांति के लिए यह व्रत आवश्यक है
- पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
- परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है
📖 पौराणिक कथा
भगवद् पुराण और भविष्य पुराण में पुत्रदा एकादशी की कथा वर्णित है। एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि पौष मास की शुक्ल एकादशी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ है।
कथा इस प्रकार है – भद्रावती नगरी के राजा सुकेतुमान और रानी शैव्या थे। दोनों संतानहीन थे और इस चिंता से व्याकुल रहते थे। एक दिन राजा वन में भटकते हुए एक ऋषि के आश्रम पहुंचे। ऋषियों ने उनकी व्यथा सुनी और कहा, "आज पौष पुत्रदा एकादशी है। यदि तुम दंपति विधिपूर्वक इस व्रत को करो तो भगवान विष्णु प्रसन्न होकर पुत्र प्रदान करेंगे।"
राजा ने ऋषियों की सलाह मानी। दोनों ने पूरे नियम से व्रत रखा, भगवान विष्णु की पूजा की, रात्रि जागरण किया और दान दिया। कुछ समय बाद रानी को पुत्र प्राप्ति का सुख मिला। वह पुत्र बड़ा होकर वीर, धर्मात्मा और प्रजा का रक्षक बना। इस प्रकार यह कथा संतान प्राप्ति की आशा जगाती है।
सुबह उठकर
ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
संकल्प
पूर्व दिशा या भगवान विष्णु की ओर मुख करके संकल्प लें।
पूजा सामग्री
फल, फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य (फलाहार), तुलसी दल, घी का दीपक, कलश, श्री विष्णु यंत्र या मूर्ति।
पूजा
भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। तुलसी पत्र चढ़ाएं। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्रनाम या एकादशी स्तोत्र पढ़ें।
व्रत नियम
अनाज, चावल, दाल आदि त्यागें। फल, दूध, मखाना, साबूदाना आदि फलाहार लें। नमक, तेल, मसाले से परहेज करें।
रात्रि जागरण
रात में भजन-कीर्तन करें, विष्णु कथाएं सुनें।
पारण
अगले दिन द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद पारण करें (सामान्यतः सुबह 7-9 बजे तक)।
🔱 मुख्य मंत्र
संतान प्राप्ति
संतान प्राप्ति और उनकी सुरक्षा
परिवार सुख
परिवार में सुख-शांति और समृद्धि
पाप मुक्ति
सभी पापों से मुक्ति और पुण्य प्राप्ति
धन समृद्धि
आर्थिक समृद्धि और स्थिरता
स्वास्थ्य लाभ
अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु
आध्यात्मिक उन्नति
मोक्ष की प्राप्ति और आध्यात्मिक विकास
📌 महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश
✓ इस व्रत को पूरे मन और श्रद्धा से करें।
✓ क्रोध, झूठ और निंदा से बचें।
✓ दान अवश्य करें – ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र या धन दें।
✓ पूरे दिन सात्विक विचार रखें और भगवान का स्मरण करें।
✓ परिवार के साथ मिलकर पूजा करें तो अधिक शुभ रहता है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
⚠️ डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं, पौराणिक कथाओं और पंचांग के आधार पर दी गई है। 2027 की तिथि विभिन्न पंचांगों (जैसे द्रिक, विक्रम संवत) के अनुसार थोड़ी भिन्न हो सकती है। व्रत, पूजा या मुहूर्त के लिए स्थानीय ज्योतिषी या पंडित से परामर्श अवश्य लें। यह लेख केवल सूचना एवं भक्ति भाव बढ़ाने के उद्देश्य से है, किसी चिकित्सकीय या कानूनी सलाह के रूप में नहीं।
🙏 भक्ति भाव से इस पावन व्रत को अपनाएं
संतान सुख प्राप्त करें और परिवार को खुशहाल बनाएं
जय श्री विष्णु! 🕉
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