महर्षि वात्सायन का जन्म बिहार राज्य में हुआ था और वे प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं। महर्षि वात्सायन ने कामसूत्र में न केवल दांपत्य जीवन को संवारा है, बल्कि कला, शिल्प और साहित्य का भी संपादन किया है। पृथ्वी के क्षेत्र में जो स्थान कौटिल्य का है, वही कर्म क्षेत्र में महर्षि वात्सायन का है। महर्षि वात्सायन का कामसूत्र विश्व की पहली यौन संहिता है जिसमें मनो-धार्मिक सिद्धांतों और यौन प्रेम के प्रयोग की विस्तृत व्याख्या और विवेचन किया गया है। अधिकृत साक्ष्य के अभाव में महर्षि का समय निर्धारित नहीं किया जा सका है…………..
हम सभी जानते हैं कि दुनिया के सबसे अधिक बिकने वाली किताब कामसूत्र के लेखक महर्षि वात्स्यायन हैं, लेकिन हममें से कम लोग जानते होंगे कि वात्स्यायन आजीवन ब्रह्मचारी रहे. बावजूद इसके उन्हें सेक्स की प्रगाढ़ समझ थी और इस कला को उन्होंने कई नए और खूबसूरत आयाम दिए. इसी क्रम में उन्होंने कामसूत्र जैसी पुस्तक की रचना की जो सदियों बाद आज भी प्रासंगिक है. आज हम आपको उनके बारे में विस्तार से बताते हैं. बनारस में काफी वक्त गुज़ारने वाले वात्स्यायन ऋषि को बहुत ज्ञानी माना जाता है जिन्हें वेदों की भी बहुत अच्छी समझ थी.
महर्षि वात्स्यायन ने पहली बार वैज्ञानिक तौर पर बताया कि आकर्षण का विज्ञान आखिर क्या है. उनका मानना था कि जिस तरह हम जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं की बात करते हैं, उसी तरह हमें सेक्स की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए. वात्स्यायन धार्मिक शिक्षाओं से जुड़े हुए थे. बेशक उन्होंने कामसूत्र लिखा लेकिन उनके बारे में कहा जाता है कि वो कभी सेक्स गतिविधियों में संलग्न नहीं रहे.
कहा जाता है कि वात्स्यायन ने कामसूत्र, वेश्यालयों में जाकर देखी गई मुद्राओं को नगरवधुओं और वेश्याओं से बात करके लिखा. मशहूर लेखिका वेंडी डोनिगर ने अपनी किताब "रिडिमिंग द कामसूत्रा" में विस्तार से महर्षि वात्सयायन के बारे में भी बताया है. कामसूत्र की असल किताब जीवन जीने की कला यानि आर्ट ऑफ लिविंग की तरह देखना चाहिए.
इतिहासकारों के मुताबिक वात्स्यायन को लगा कि सेक्स के विषय पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए. इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती. उन्होंने अपने किताब के माध्यम से इस बात को सुनिश्चित करने की कोशिश की कि लोग इस संबंध में बेहतर जानकारी हासिल कर सकें. आज भी दुनियाभर के लोग इस किताब को रेफर करते हैं. हज़ारों साल बाद भी ये प्रासंगिक है.
वात्स्यायन महान दार्शनिक भी थे. उन्होंने न्याय सूत्र नामक किताब भी लिखी. ये किताब आमतौर पर आध्यात्मिक उदारवाद पर थी जो जन्म और जीवन पर आधारित है. ये मोक्ष की भी बात करती है. ये शानदार किताब है, जो ये बताती है कि वात्स्यायन कितनी विलक्षण बुद्धि के थे. हालांकि इस किताब पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई.
महर्षि वात्स्यायन ऋषि ने जब तीसरी शताब्दी के मध्य में यौन संहिता पर आधारित ग्रंथ कामसूत्र लिखा तो आने वाले समय में ये दुनियाभर में सबसे ज्यादा क्रांतिकारी और बिकने वाला ग्रंथ साबित हुआ. हालांकि कामसूत्र को लेकर असली तहलका दुनियाभर में तब मचा, जब पहली बार दो सौ साल से कुछ ज्यादा पहले सर रिचर्ड एफ बर्टन ने इसका संपादित अंग्रेजी अनुवाद का ब्रिटेन में प्रकाशन किया. हालांकि इसका गैरसंपादित अंग्रेजी अनुवाद पहले ही एक भारतीय वास्तुकलाविद भगवानलाल इंद्रजी ने कर चुके थे. अंग्रेजी में प्रकाशित होते ही इसकी बिक्री की होड़ लग गई. वैसे इसका पहला अंग्रेजी प्रकाशन प्राइवेट तरीके से किया गया था. शुरुआती बिक्री भी गुपचुप तरीके से हुई, इसके बाद भी इसकी एक-एक प्रति 100 से 150 पौंड तक में बिकी. इसके हाथों हाथ लेने की वजह ये भी थी कि पहले कभी ऐसी कोई किताब अंग्रेजी में पाठकों के बीच नहीं आई थी.
दरअसल ये दुनिया की पहली किताब थी, जो बेहतर तरीके से यौन संहिता की बात करती थी, साथ ही एक बेहतर वैवाहिक जीवन बिताने और जीवन में खुश रहने के तरीके बताती थी. जब इसका अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हो गया तो ये दुनिया के अलग अलग हिस्सों में पहुंची तो धड़ाधड़ इसका अनुवाद होने लगा. ये भारत की अकेली किताब है, जिसका अनुवाद लगभग हर भाषा में होने लगा.
जब भी काम सूत्र की बात होती है तो आमतौर पर लगता है कि ये ऐसी किताब है, जो केवल यौन आसनों और सेक्स पर आधारित है, लेकिन ऐसा है नहीं. हैं, जिसमें यौन-मिलन से सम्बन्धित भाग 'संप्रयोगिकम्' भी एक अध्याय है. बाकी अध्यायों में जीवन जीने की कला, धार्मिक और सामाजिक जीवन के तरीकों के बारे में बताया गया है. इस ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकर है. माना जाता है कि अर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में महर्षि वात्सायायन द्वारा लिखी "कामसूत्र" का है.
जब मुगल भारत में आए और उन्होंने इस किताब के बारे में जाना तो उन्होंने इसका बड़ी संख्या में फारसी में चित्रों के साथ अनुवाद कराया. माना जाता है कि ये ग्रंथ बनारस की धरती पर लिखा गया जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब ये लिखा गया, तब उसके केंद्र में पाटलीपुत्र के लोगों का जीवन था.
वात्स्यायन ने कामसूत्र में जिन 64 कलाओं का ज़िक्र किया है वो दरअसल जीवन में काम आने वाली विधाएं हैं. कुछ समय के साथ अप्रासंगिक हो चुकी हैं तो कुछ अब भी बहुत उपयोगी हैं. हालांकि इस किताब के लेखक महर्षि वात्सायायन के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है कि वो कहां के थे, उनका तब के समाज में क्या स्थान या मान्यता थी.
कामसूत्र दुनियाभर में पिछले 100-150 सालों में सबसे लोकप्रिय किताबों में रही है. दुनियाभर में हर भाषा में इस किताब का अनुवाद हुआ है. अब भी लगातार इसका अनुवाद होता रहता है. इसमें कुल मिलाकर 1250 श्लोक हैं. ये गद्य और पद्य दोनों तरीकों का इस्तेमाल करके लिखी गई है.
इस किताब को दुनिया की पहली यौन संहिता भी कहा जाता है, जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोगों की विस्तार से व्याख्या की गई है. हालांकि इसी तरह की एक किताब अरब में भी "सुगन्धित बाग" के नाम से लिखी गई है, हालांकि माना जाता है कि इस पर कामसूत्र की ही छाप है.
वात्सायायन के बारे में कहा जाता है कि प्राचीनकाल में नगरवधुओं के आवासों में उनका सुगम आना जाना था. हालांकि वात्सायायन के बारे में ये कहा जाता है कि उन्होंने इस किताब को लिखने में ध्यान का भी काफी सहारा लिया था.
इस किताब में दांपत्य जीवन के संबंधों के साथ कला, शिल्पकला एवं साहित्य को भी प्रमुखता से दिया गया है राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी तथा खजुराहो, कोणार्क आदि की जीवंत शिल्पकला इसी किताब के आधार पर सृजित की गई.
डिस्क्लेमर: यह लेख सूचना और धार्मिक जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। लेख में दी गई जानकारी ऐतिहासिक, पौराणिक, और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित है। हम किसी भी तथ्य की पूर्ण सत्यता का दावा नहीं करते। पाठक अपनी विवेकानुसार जानकारी का उपयोग करें।
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