नवंबर का महीना हिंदू संस्कृति में आध्यात्मिक जागरण और उत्सवों का संदेशवाहक होता है। कार्तिक पूर्णिमा की चांदनी से लेकर मार्गशीर्ष की शीतल हवाओं तक, यह मास भक्ति, त्याग और खुशी का संगम बन जाता है। 2025 में नवंबर की शुरुआत भिष्म पंचक से होती है, जो पितरों के प्रति श्रद्धा जगाती है, और समाप्ति मासिक दुर्गाष्टमी पर, जो शक्ति की आराधना का प्रतीक है। इस दौरान देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का शयनोपरांत जागरण मनाया जाता है, जो विवाह और व्यापार के लिए शुभ मुहूर्त का सूचक है। तुलसी विवाह की रस्में घर-घर में स्नेह की बयार लाती हैं, जबकि देव दीपावली पर गंगा स्नान और दीप प्रज्वलन से वातावरण पवित्र हो उठता है। गुरु नानक जयंती सिख समुदाय को एकजुट करती है, तो काल भैरव जयंती भय नाश की प्रेरणा देती है। वृश्चिक संक्रांति सूर्य के गोचर से नई ऊर्जा का संचार करती है। इन त्योहारों के माध्यम से हम अपनी जड़ों से जुड़ते हैं, नैतिक मूल्यों को अपनाते हैं और जीवन में संतुलन लाते हैं। यह महीना हमें सिखाता है कि त्योहार केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन और सामाजिक सद्भाव के अवसर हैं। आइए, इन पावन पर्वों का आनंद लें और अपनी परंपराओं को जीवंत रखें।
हिंदू पंचांग में प्रत्येक मास की अपनी विशेषता होती है, और नवंबर 2025 कार्तिक एवं मार्गशीर्ष मासों का संगम होने से और भी महत्वपूर्ण है। यह वह समय है जब प्रकृति शरद ऋतु की गोद में लिपटकर शीतलता बांटती है, और मनुष्य का हृदय भक्ति की लहरों से सराबोर हो जाता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष से प्रारंभ होकर, यह महीना व्रत, उपवास, स्नान और पूजाओं से भरा पड़ा है। भिष्म पंचक की कठोरता से लेकर कार्तिक पूर्णिमा की उज्ज्वलता तक, हर तिथि एक नई प्रेरणा देती है। मार्गशीर्ष में प्रवेश करते ही भगवान विष्णु के भक्तों के लिए विशेष अवसर आते हैं, जैसे उत्पन्ना एकादशी और विवाह पंचमी। इन त्योहारों के पीछे गहन दार्शनिक महत्व छिपा है, जो हमें जीवन के चक्र, कर्मफल और मोक्ष की ओर ले जाते हैं। आइए, इस वर्ष की इन पावन तिथियों पर नजर डालें और उनके रहस्यों को समझें।
1 नवंबर 2025: भिष्म पंचक आरंभ और देवउठनी एकादशी
महीने की शुरुआत शनिवार को भिष्म पंचक से होती है। यह पांच दिनों का काल है, जिसमें पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष संकल्प लिया जाता है। महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह की आज्ञा से प्रेरित यह व्रत, दान-पुण्य और जप का महत्व सिखाता है। इस दिन से कार्तिक शुक्ल एकादशी पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। भगवान विष्णु चार मास के शयनोपरांत जागृत होते हैं, जिससे विवाह, गृह प्रवेश जैसे मंगल कार्यों का शुभारंभ होता है। घरों में तुलसी माता की पूजा की जाती है, और व्रत रखने वाले भक्त फलाहार पर निर्भर रहते हैं। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जैसे विष्णु का जागरण सृष्टि को गति देता है, वैसे ही हमारा आत्म-जागरण जीवन को दिशा प्रदान करता है। पूजा विधि सरल है: स्नान के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ, तुलसी पत्र चढ़ाना और दीप दान। इस दिन का महत्व इतना है कि पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि एकादशी व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2 नवंबर 2025: तुलसी विवाह और योगेश्वर द्वादशी
रविवार को तुलसी विवाह का उत्सव घर-घर में धूम मचाता है। तुलसी को विष्णु की अंश मानी जाती है, इसलिए इस विवाह से वैवाहिक जीवन सुखी होता है। लड़के-लड़कियां इस दिन शादी के लिए संकल्प लेते हैं। विधि में तुलसी को सजाया जाता है, शालigram से विवाह कराया जाता है, और मंगल गीत गाए जाते हैं। उसी दिन योगेश्वर द्वादशी और तमस मन्वादी भी आती है। योगेश्वर द्वादशी शिव भक्तों के लिए है, जहां योग साधना पर जोर दिया जाता है। तमस मन्वादी सृष्टि चक्र के सात मनु में से एक का स्मरण कराता है, जो हमें सृष्टि के रहस्यों से परिचित कराता है। ये त्योहार हमें याद दिलाते हैं कि विवाह केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक बंधन भी है।
3 नवंबर 2025: वैकुंठ चतुर्दशी और विश्वेश्वर व्रत
सोमवार को वैकुंठ चतुर्दशी का पावन पर्व है। कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को शिव-पार्वती की पूजा से वैकुंठ लोक की प्राप्ति का विश्वास है। रात्रि जागरण में भजन-कीर्तन और अभिषेक किया जाता है। विश्वेश्वर व्रत काशी विश्वनाथ के दर्शन का स्मरण कराता है, जबकि सोम प्रदोष व्रत सोमवार के प्रदोष काल में शिव पूजा का अवसर है। ये सभी व्रत हमें भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। कल्पना कीजिए, चंद्रमा की चांदनी में शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाते हुए, मन की शांति कैसे प्राप्त होती है।
4 नवंबर 2025: देव दीपावली और मणिकर्णिका स्नान
मंगलवार को देव दीपावली का भव्य उत्सव है। कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को देवताओं का दीपावली मनाने से यह नाम पड़ा। प्रयागराज में गंगा स्नान विशेष महत्व रखता है, जहां लाखों भक्त पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। मणिकर्णिका स्नान काशी के घाट पर किया जाता है, जो मोक्ष द्वार माना जाता है। जैन कैलेंडर के अनुसार कार्तिक चौमासी चतुर्दशी भी आती है। अनवधान तर्पण से पितर तृप्त होते हैं। यह दिन हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य सिखाता है, क्योंकि दीप प्रज्वलन अंधकार नाश का प्रतीक है। घर में लक्ष्मी पूजा और पटाखों से वातावरण उल्लासपूर्ण हो जाता है।
5 नवंबर 2025: भिष्म पंचक समाप्ति और गुरु नानक जयंती
बुधवार को भिष्म पंचक समाप्त होता है, और कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य उत्सव चरम पर पहुंचता है। गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक का जन्मोत्सव है, जिसमें अखंड पाठ और लंगर का आयोजन होता है। पुष्कर स्नान राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर के दर्शन का अवसर है। कार्तिक अष्टाह्निका समाप्ति जैन भक्तों के लिए है, जबकि कार्तिक रथ यात्रा भगवान महावीर की स्मृति में। कार्तिक पूर्णिमा व्रत और इष्टि कर्म से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उत्तम मन्वादी सृष्टि के उत्तम चरण का प्रतीक है। यह दिन बहुलतावाद का संदेश देता है, जहां हिंदू-सिख एक साथ प्रार्थना करते हैं।
6 नवंबर 2025: मार्गशीर्ष आरंभ
गुरुवार को उत्तर भारत में मार्गशीर्ष मास प्रारंभ होता है, पौष कृष्ण प्रतिपदा से। मासिक कार्तिगई तमिल कैलेंडर में शिव पूजा का है। यह संक्रमण काल हमें नई शुरुआत की याद दिलाता है।
7 नवंबर 2025: रोहिणी व्रत
शुक्रवार को जैन कैलेंडर के अनुसार रोहिणी व्रत आता है, जो अहिंसा और संयम पर आधारित है।
8 नवंबर 2025: गणाधिप संकष्टी
शनिवार को मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्थी पर गणाधिप संकष्टी चतुर्थी गणेश भक्तों के लिए है। चंद्र दर्शन से व्रत समाप्त होता है।
11 नवंबर 2025: काल भैरव जयंती
मंगलवार को काल भैरव जयंती और कालाष्टमी मनाई जाती है। मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को भैरव देव की पूजा से भय दूर होता है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी इसी दिन है। यह त्योहार हमें साहस और न्याय का पाठ पढ़ाता है।
14 नवंबर 2025: नेहरू जयंती और बाल दिवस
शुक्रवार को चंद्रशेखर आजाद की जयंती के साथ नेहरू जयंती और बाल दिवस है। यह सामाजिक उत्सव है, जो बच्चों के अधिकारों पर फोकस करता है।
15 नवंबर 2025: उत्पन्ना एकादशी
शनिवार को मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी पर उत्पन्ना एकादशी आती है। एकादशी का जन्म विष्णु अवतार से जुड़ा है, व्रत से पाप नष्ट होते हैं।
16 नवंबर 2025: वृश्चिक संक्रांति
रविवार को सूर्य का तुला से वृश्चिक राशि में गोचर होता है। मंडल पूजा मलयालम कैलेंडर में आरंभ होती है। यह संक्रांति नई ऊर्जा का प्रतीक है।
17 नवंबर 2025: सोम प्रदोष व्रत
सोमवार को मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी पर सोम प्रदोष शिव पूजा का है।
18 नवंबर 2025: मासिक शिवरात्रि
मंगलवार को कृष्ण चतुर्दशी पर मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जाता है। रात्रि जागरण से शिव प्रसन्न होते हैं।
19 नवंबर 2025: दर्श अमावस्या
बुधवार को मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या पर दर्श अमावस्या और अनवधान तर्पण है। मार्गशीर्ष अमावस्या पौष कृष्ण अमावस्या के नाम से जानी जाती है।
20 नवंबर 2025: इष्टि
गुरुवार को कृष्ण अमावस्या पर इष्टि कर्म किया जाता है।
21 नवंबर 2025: चंद्र दर्शन
शुक्रवार को शुक्ल प्रतिपदा पर चंद्र दर्शन से अमावस्या व्रत समाप्त होता है।
24 नवंबर 2025: विनायक चतुर्थी
सोमवार को शुक्ल चतुर्थी पर विनायक चतुर्थी गणेश पूजा का अवसर है।
25 नवंबर 2025: विवाह पंचमी
मंगलवार को शुक्ल पंचमी पर विवाह पंचमी राम-सीता विवाह की स्मृति में मनाई जाती है। नाग पंचमी तेलुगु कैलेंडर में है।
26 नवंबर 2025: सुभ्रह्मण्य षष्ठी
बुधवार को शुक्ल षष्ठी पर चंपा षष्ठी, स्कंद षष्ठी और सुभ्रह्मण्य षष्ठी कार्तिकेय पूजा का है।
28 नवंबर 2025: मासिक दुर्गाष्टमी
शुक्रवार को शुक्ल अष्टमी पर मासिक दुर्गाष्टमी शक्ति आराधना का पर्व है।
ये त्योहार हमें सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हैं। प्रत्येक का अपना रस्म-रिवाज है, जैसे स्नान, दान, जप। आधुनिक जीवन में इन्हें अपनाकर हम तनाव मुक्त हो सकते हैं। उदाहरणस्वरूप, देवउठनी एकादशी पर योगाभ्यास से मानसिक शांति मिलती है। इसी तरह, गुरु नानक जयंती पर सेवा कार्य से सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं। 2025 का यह नवंबर हमें न केवल धार्मिक, बल्कि व्यक्तिगत विकास का अवसर देगा। आइए, इन पर्वों को पूरे उत्साह से मनाएं और जीवन को समृद्ध बनाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
नवंबर 2025 में देवउठनी एकादशी कब है?
1 नवंबर 2025 को कार्तिक शुक्ल एकादशी पर मनाई जाएगी। यह विवाह मुहूर्त का प्रारंभ है।
तुलसी विवाह का महत्व क्या है?
तुलसी विवाह वैवाहिक सुख के लिए किया जाता है। 2 नवंबर 2025 को शालिग्राम से विवाह कराया जाता है।
देव दीपावली कब और कैसे मनाई जाती है?
4 नवंबर 2025 को। गंगा स्नान, दीप दान और लक्ष्मी पूजा से धन-समृद्धि प्राप्त होती है।
गुरु नानक जयंती 2025 में कब है?
5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा पर। अखंड पाठ और लंगर आयोजित होते हैं।
भिष्म पंचक कब से कब तक है?
1 से 5 नवंबर 2025 तक। पितरों के लिए दान-पुण्य विशेष फलदायी है।
काल भैरव जयंती का समय क्या है?
11 नवंबर 2025 को मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी पर। भैरव देव की पूजा से भय नष्ट होता है।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व बताएं।
15 नवंबर 2025 को। विष्णु भक्ति से पाप नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वृश्चिक संक्रांति कब आती है?
16 नवंबर 2025 को सूर्य गोचर पर। नई ऊर्जा और स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभ।
मासिक शिवरात्रि कब रखी जाती है?
18 नवंबर 2025 को कृष्ण चतुर्दशी पर। रात्रि जागरण से शिव प्रसन्न होते हैं।
विवाह पंचमी का संबंध क्या है?
25 नवंबर 2025 को राम-सीता विवाह की स्मृति में। दांपत्य जीवन सुखी बनाने के लिए।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत की विधि क्या है?
5 नवंबर 2025 को। स्नान, दान, जप और उपवास से पुण्य प्राप्ति।
बाल दिवस 2025 कब है?
14 नवंबर 2025 को नेहरू जयंती पर। बच्चों के विकास पर फोकस।
स्कंद षष्ठी का पर्व कब?
26 नवंबर 2025 को। कार्तिकेय पूजा से संतान सुख मिलता है।
मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व?
28 नवंबर 2025 को। दुर्गा आराधना से शक्ति और सुरक्षा प्राप्त।
नवंबर 2025 में कितने एकादशी हैं?
दो: देवउठनी (1 नवंबर) और उत्पन्ना (15 नवंबर)। दोनों विष्णु भक्ति के प्रमुख पर्व।
Disclaimer: यह सामग्री सूचनात्मक उद्देश्य से तैयार की गई है। त्योहारों की तिथियां स्थान, पंचांग भेद (अमांत/पूर्णिमांत) और स्थानीय परंपराओं के अनुसार भिन्न हो सकती हैं। किसी भी धार्मिक कार्य से पूर्व स्थानीय पंडित या ज्योतिषी से परामर्श लें। हम किसी प्रकार की गारंटी या दायित्व स्वीकार नहीं करते। यदि कोई त्रुटि हो, तो कृपया सूचित करें।
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